*भारतीय नागरिक परिषद* ... *राष्ट्रवादी विचारों के प्रणेता सांस्कृतिक सामंजस्य , को स्थापित करने वाले आध्यात्मिक चेतन ,धर्म सुधारक ,दर्शन शिरोमणि अद्वैत वेदांत और ब्रह्म सूत्र के प्रणेता श्री आदि शंकराचार्य जी को भारतीय नागरिक परिषद ने विषम परिस्थितियों में गूगल मीट के माध्यम से संगोष्ठी का आयोजन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए*
न्यूज़ खीरी एक्सप्रेस,सुश्री सुनहरा
लखनऊ।आदि जगद्गुरु शंकराचार्य की जन्म जयंती पर भारतीय नागरिक परिषद द्वारा करोना महामारी के संकट को देखते हुए गूगल मीट के माध्यम से संगोष्ठी का आयोजन किया . संगोष्ठी का प्रारंभ शंकराचार्य पीठ लखनऊ के आचार्य जी स्वामीनाथन ने शंकराचार्य स्तुति करके किया. संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में शैलेंद्र दुबे ने अपना संबोधन देते हुए बताया कि जन्म से लेकर 32 वर्ष की अल्पायु तक कैसे शंकराचार्य ने अपने अलौकिक जीवन आदर्श रूप में हम सभी के सामने प्रस्तुत किया।आचार्य शंकर द्वारा शुरू किया गया सनातन धर्म उत्थान का कार्य आज भी समाप्त नहीं हुआ है।
आज मनुष्य के पास अनेक ऐश्वर्य विविध संपन्नता के रहते हुए भी उसके दुख, संताप कि सीमा नहीं है क्योंकि नए-नए मोह और भ्रम उनकी ज्ञान बुद्धि को आवृत्ति किए हुए हैं. काम -क्रोध, लोभ- दंभ ,विद्वेष आदि आसुरी भाव हमें निरंतर जर्जर कर रहे हैं. जीवन का सार केवल मनुष्य की आत्मा के अविष्कार में है सभी मनुष्यों के भीतर एक अविभाज्य चैतन्य सत्ता निरंतर प्रकाशमान है. प्रत्येक जीव और संसार के सभी प्राणियों में अस्तित्व मान मात्र एक ही है ब्रह्म है.
शंकराचार्य जी द्वारा दिए गए सूत्र *एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति* आज मानवता के लिए बहुत ही विलक्षण सूत्र है. भारत भूमि को आचार्य शंकराचार्य के रूप में चक्रचूड़ामणि ,राजराजेश्वर ,अनंत श्री विभूषित, दिग्विजय तथा भारतीय दर्शन शिरोमणि सनातन धर्म को घर घर में स्थापित करने वाले पंचजन्य को हर घर में पूजन योग्य स्थान देने वाले दार्शनिक व्याख्याता आचार्य शंकर ने हम सब देशवासियों को व्यावहारिक, सांस्कृतिक,सैद्धांतिक ,भौगोलिक, धार्मिक एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया है.
आज भी हमारी समस्याओं का समाधान अद्वैत वेदांत के आध्यात्मिक व नैतिक ढांचे में ही संभव है.
अद्वैत वेदांत का मुख्य सिद्धांत हमें सम्यक रूप से दृष्टि ,अखंड भारत की कल्पना, अनेकता में एकता की शिक्षा तथा सर्व प्रमुख रूप से भारतीय संस्कृति के साथ तत्व को बनाए रखने की सक्षम शिक्षा और उपयोगिता सिखाता है.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने संगोष्ठी के माध्यम से कहा कि तरुण सन्यासी ने अखंड विशाल भारत के दक्षिण से उत्तर पूर्व से पश्चिम तथा भारतीय प्रदेशों में पदयात्रा कर वेदांत धर्म को दीर्घकाल संचित, उज्जवल रूप में आमजन के उपयोगी सनातन धर्म के रूप में प्रतिष्ठित किया है. उन्होंने भारत के चार कोनों में चार मठ स्थापित किए जो एक प्रकार से 4 धर्म दुर्ग थे, प्रहरी के समान इन्होंने भारत के चारों सीमाओं की रक्षा करते हुए तब से आज तक हिंदू धर्म की विजय वैजयंती को लहराए रखा है .किसी कुशल सेनापति की राष्ट्र के प्रति रक्षा नीति के तहत आचार्य शंकर की चार मठ, चार धर्म ,चार दुर्ग की नीति अतुलनीय है.
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि यदि यह संगोष्ठी का आयोजन भारतीय नागरिक परिषद का किंचित प्रयास किसी भी व्यक्ति के हृदय में आचार्य शंकर के संबंध में और अधिक जानने की जिज्ञासा जागृत उत्पन्न कर सका तो यह परिषद अपने आपको धन्य समझेगा.
भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने कहा कि आज महामारी की विषम परिस्थितियों में शंकराचार्य जी के शिक्षाओं से हमें सीखते हुए यह संकल्प लेना होगा कि मानवता की सेवा में एक विशाल हृदय के साथ ,एक दूसरे के साथ सहयोगात्मक रूप से खड़े रहेंगे तथा राजज्ञा का पालन करते हुए इस महामारी से बचने हेतु अपना सहयोग देंगे,साथ ही पूरी धर्म निष्ठा के साथ सनातन धर्म की पताका को हर घर में जन- जन तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे.
भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री संस्थापक न्यासी रमाकांत दुबे ने आचार्य शंकर की सर्वकालिक उपादेयता बताते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने संगोष्ठी का संचालन किया तथा सभी को भारतीय नागरिक परिषद के उद्देश्यों से अवगत कराया. संगोष्ठी में मुख्य रूप से संगठन के पदाधिकारी निशा सिंह, किरण दुबे ,अंजू राय, रीता मिश्रा, वंदना द्विवेदी, प्रीति श्रीवास्तव ,अंजू सिंह, दीपा सिंह, अंजू राय, सुमन दुबे , एच एन मिश्रा आचार्य एस .जी स्वामीनाथन, अरुण श्रीवास्तव ,धनंजय द्विवेदी, संजय शुक्ला ,प्रमोद शुक्ला, देवेंद्र शुक्ला, कमलेश अग्रवाल, मुकेश दुबे, ओमप्रकाश तिवारी, पंकज बाजपेई ,पार्थ मिश्रा ,प्रकाश दुबे, प्रताप भान सिंह ,राजेश कुमार शुक्ला ,राम व्यास, एसएन सिंह, सतीश जायसवाल, शांतनु दीक्षित, सिद्धेश दुबे, सुभाष मणि तिवारी ,यूपीएस पूरे अवधि इंग्लिश मीडियम के शिक्षक, सुरेंद्र वाजपेई, श्याम जी, विवेकानंद त्रिपाठी, गौरव त्रिपाठी अश्वनी उपाध्याय, अशोक कनौजिया ,राका उपाध्याय, राजीव अस्थाना, पूजा पांडे, हर्ष दुबे , दया पांडे, राघवेंद्र अवस्थी, महेश्वरी तिवारी ,दया पांडे, शिव शंकरम, दीपक त्रिपाठी, शांतनु दीक्षित, मनोज तिवारी इत्यादि कई अन्य सभी जनों ने इस संगोष्ठी को सुना तथा चर्चा परिचर्चा में भाग लिया।


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