संकट के समय में नही किया जा रहा गन्ना किसानों का बकाया भुगतान किसान कर रहे हैं भुगतान चुकाने की मांग
*न्यूज खीरी एक्सप्रेस,नरेन्द्र कुमार वर्मा*
लखीमपुर खीरी। गन्ने की फसल उत्तर प्रदेश के साथ पूरे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में एक विशेष स्थान रखती है। गन्ना उत्तरी यूपी में मुख्यतः कैशक्रॉप के रूप में बोया जाता है और यहाँ कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार भी गन्ना ही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की इतनी महत्वपूर्ण फसल होने के बावजूद भी गन्ना किसानों का अर्थशास्त्र पिछले कुछ वर्षों में सुधरने की बजाय बिगड़ता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से एक तरफ गन्ना किसान हाड़-तोड़ मेहनत करके गन्ने का उत्पादन बढ़ा रहा है वहीं दूसरी तरफ भाव और भुगतान की समस्या से जूझ रहा है। बकाया भुगतान के मसले में सरकार हर दूसरे माह कड़ी चेतावनी देकर अपने दायित्व की इतिश्री कर देती है और किसान भुगतान होने की उम्मीद में फिर अपने खेत जुट जाता है। शराब उत्पादन, चीनी उत्पादन, इथेनॉल उत्पादन और तमाम तरह के उत्पाद गन्ने से बनते है फिर भी गन्ना किसान अपनी मेहनत की कमाई के लिए दर दर भटकता फिर रहा।2017 के चुनाव में बीजेपी ने घोषणा की थी कि हमारी सरकार बनने के बाद गन्ना किसानों को 14वें दिन भुगतान की व्यवस्था की जाएगी लेकिन सरकार बने 3 साल होने जा रहे है भुगतान की गति जस की तस बनी हुई है। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री और गन्ना मंत्री की कड़ी कार्यवाही की चेतावनी का मिल मालिकों पर कोई फर्क नही पड़ रहा है और वे अपनी मनमर्जी से भुगतान कर रहे है। इसे योगी सरकार की नाकामी ही कहा जाएगा कि सरकार हाईकोर्ट केे तमाम आदेशो के बावजूद गन्ना किसानों को बकाया भुगतान पर ब्याज भी नही दिला पाई। भुगतान किसान अपने लोन, बिजली के बिल, घर का खर्चा और बच्चो की स्कूल फीस भरने में नाकाम हो रहा है। भुगतान ना होने की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे गन्ना किसान लोन की किश्त और बिजली के बिल जमा कर पाने में असमर्थ हो रहे है जिस से प्रशासन उन पर मुकदमे के साथ जुर्माने लगा रहा है। लोन की किश्त ना भर पाने पर कुछ किसानों की जमीनें नीलाम करने नोटिस भी जारी हुए है। भाव दो साल से बढ़ाया नही, भुगतान साल साल भर तक अटका रहता है।किसान नेता रवि तिवारी ने कहां है किसानों की आय दोगुनी करने के सपने दिखाती थी लेकिन सत्ता में आते ही बिजली और खाद के दामो में बेहताशा वृद्धि कर किसानों की आय दोगुनी करने के बजाय घटा दी। बिजली और खाद के दामो में वृद्धि होने से किसानों की लागत बढ़ती जा रही है और सरकार है कि भाव बढ़ाने का नाम नही ले रही। गन्ने की मजबूत फसल की वजह से ही यूपी का किसान आत्महत्या नही करता था लेकिन अब आय घटने और लागत बढ़ने की वजह से पश्चिमी यूपी से भी किसानों की आत्महत्या की खबरे आने लगी है। मोबाइल, इंटरनेट और e-ganna app के माध्यम से किसानों को टेक्नोलॉजी से तो जोड़ रहे हो परन्तु जब भुगतान ही समय से नही हो रहा है तो इस टेक्नोलॉजी का क्या फायदा। सरकार को इस विकट स्तिथि की तरफ जल्द ही उचित कदम उठाने चाहिए और ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिस से गन्ना किसानों का भुगतान समय पर हो सके।


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